आज की यह पोस्ट चेक बाउंस के संबंधित है। चेक बाउंस के संबंधित सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस फैसले में स्पष्ट किया की निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 142(b) के तहत चेक बाउंस की शिकायत दर्ज करने की 30 दिन समय-सीमा होती है। अगर कोई व्यक्ति इस समय-सीमा के बाद शिकायत करता है तो उसे देरी का कारण बताना होगा और औपचारिक रुप से माफी मांगनी जरुरी है और कोर्ट इसे मंजूर करता है। इसी के संबंधित कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इसी के बारे में हम आपको इस पोस्ट में जानकारी देने वाले है। अगर आप इसके बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारी यह पोस्ट अंत तक जरूर पढ़िए।
हो गई चेक बाउंस केस रद्द
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने चेक बाउंस के एक केस को रद्द कर दिया। यह चेक बाउंस केस 35 वें दिन दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता ने देरी माफ के लिए कोई भी अर्जी नहीं दी थी और कोर्ट ने भी देरी का कारण स्वीकार नहीं किया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया की कानुन में समय-सीमा स्पष्ट है और आपको इसका पालन करना जरूरी है। बिना कोई कारण बताए देरी मंजूर नहीं की जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने किया स्पष्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया की अगर चेक बाउंस की शिकायत 30 दिन के बाद दर्ज होती है तो शिकायतकर्ता को देरी का ठोस कारण बताना होगा। कोर्ट यह कारण सुनकर संतुष्ट होना चाहिए। तभी यह केस आगे बढ़ सकती हैं और समन जारी हो सकता है सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को भी बदल दिया। इसमें ट्रायल कोर्ट ने देरी होने पर भी समन जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा की निचली अदालत ने समय-सीमा को लचीला मानकर और देरी के कारणों की जांच न करते हुए केस आगे बढ़ाकर गलती की है।
अब हो सकती है केस रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया की अब चेक बाउंस केस में समय-सीमा का सख्ती से पालन करना जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति 30 दिन के बाद केस दर्ज करता है तो उसे पक्के सबुतों के साथ देरी की वजह बतानी होगी। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो केस रद्द की जाएगी।