रसोई घर आज हर परिवार का दिल बन चुका है। जब भी हम स्वादिष्ट खाना बनाते हैं तो गैस सिलेंडर का बहुत बड़ा योगदान होता है। पहले लकड़ी जलाकर घंटों मेहनत करनी पड़ती थी। अब एलपीजी गैस ने काम को बेहद आसान बना दिया है। खाना जल्दी बनता है, रसोई साफ रहती है और समय भी बचता है। खासकर महिलाओं के लिए यह एक बड़ी राहत की बात है धुएं की वजह से कई बीमारियाँ होती थीं अब वह चिंता खत्म हो गई है आजकल एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत हर किसी के लिए चिंता का विषय बन गई थी। आखिर कब सस्ती होगी कब महंगी होगी? हर घर में यही सवाल उठता है। लेकिन इस महीने थोड़ी राहत मिली है। चलिए जानते हैं इस समय की नई कीमतें और सब्सिडी का सच।
14.2 किलो गैस सिलेंडर की नई कीमतें जानिए अपने शहर की दर
मुंबई में 14.2 किलो का घरेलू एलपीजी सिलेंडर अब 852.50 रुपये में उपलब्ध है। पिछले महीने की तुलना में कीमत में खास बदलाव नहीं हुआ है। यह उपभोक्ताओं के लिए सुखद समाचार है। पिछले एक साल में अक्टूबर 2024 से लेकर अब तक करीब 50 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है। अप्रैल 2025 में कच्चे तेल के बढ़ते भाव और डॉलर की दर में उतार-चढ़ाव की वजह से सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई थी। फिलहाल कीमतें स्थिर हैं, जिससे आम आदमी को थोड़ी राहत मिल रही है देश के बड़े शहरों में सिलेंडर की वर्तमान दरें भी अलग-अलग हैं। दिल्ली में 853 रुपये, कोलकाता में 881 रुपये, चेन्नई में 857.50 रुपये, हैदराबाद में 905 रुपये, बेंगलुरु में 855.50 रुपये, जयपुर में 856.50 रुपये और पटना में सबसे महंगा सिलेंडर 942.50 रुपये में उपलब्ध है। इन भिन्नताओं के पीछे परिवहन लागत और स्थानीय टैक्स व्यवस्था भी जिम्मेदार है हर राज्य की अपनी नियमावली होती है।
एलपीजी मूल्य निर्धारण कैसे होता है
एलपीजी की कीमतें इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सरकारी कंपनियां तय करती हैं। हर महीने की पहली तारीख को नई दरें जारी होती हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस के भाव, विदेशी मुद्रा की दरें और घरेलू मांग-आपूर्ति का संतुलन ध्यान में रखा जाता है। भारत पर ज्यादा निर्भरता विदेशी आयात पर होने की वजह से कच्चे तेल की कीमतें सीधे एलपीजी पर असर डालती हैं रुपया-डॉलर का अंतर भी कीमत तय करने में अहम भूमिका निभाता है।
सरकारी सब्सिडी योजना
सरकार ने एलपीजी सब्सिडी योजना शुरू की है ताकि गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध हो। यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। इससे पारदर्शिता बढ़ती है और भ्रष्टाचार कम होता है। सब्सिडी की रकम हर महीने तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति के अनुसार अपडेट करती हैं। इससे हर परिवार को स्वच्छ और सुरक्षित खाना बनाने में मदद मिलती है। खर्च कम होता है, स्वास्थ्य बेहतर होता है।